कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों में यूनिवर्सिटी के छात्रों के शामिल होने पर सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने बयान पर टिप्पणी की। शनिवार को उन्होंने तिरुवनंतपुरम के कार्यक्रम में कहा कि सेना प्रमुख का सरकार को समर्थन देना शर्मनाक है। जैसे हम सेना को जंग लड़ने के बारे में नहीं बता सकते ठीक वैसे ही नेता क्या करें यह बताना सेना का काम नहीं है। मैं जनरल रावत से अपील करता हूं कि आप सेना की अगुवाई करते हैं, अपने काम से मतलब रखिए।
दरअसल, सेना प्रमुख ने गुरुवार को कहा था कि आजकल यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में प्रदर्शन के दौरान आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं हो रही हैं। इनमें छात्रों को लेकर लीडरशिप दिखाने का मौका मिल रहा है। लीडरशिप विकसित करना एक जलिट प्रक्रिया है, लीडर वह नहीं जो दूसरों को भटकाने का काम करे। उनके इस बयान के बाद विवाद शुरू हुआ। कुछ पूर्व सैन्य अधिकारियों और राजनेताओं ने इस पर आपत्ति जताई तो कुछ ने इसका बचाव किया।
गृह मंत्री ने सीएए पर एक भी सवाल का जवाब नहीं दिया
चिदंबरम ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह को राज्य सभा और लोकसभा में नागरिकता कानून पर हुई चर्चाएं वापस सुननी चाहिए। उन्होंने इससे संबंधित एक भी सवाल का जवाब नहीं दिया है। अब वे राहुल गांधी को इस मुद्दे पर बहस के लिए चुनौती दे रहे हैं। अगर भाजपा के पास संसद में दो तिहाई बहुमत होती तो वे संविधान को बदल देते। भाजपा सरकार सीधे तौर पर ऐसा नहीं कर सकती इसलिए वह बैकडोर से संविधान बदलने की कोशिश कर रही है।
जब तक कांग्रेस जिंदा है देश में सीएए लागू नहीं होने देंगे
उन्होंने कहा कि नागरिकता कानून में सब कुछ गलत है। हम इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि सुप्रीम कोर्ट इस कानून को खारिज कर देगा। जब तक कांग्रेस जिंदा है देश में सीएए लागू नहीं करने दिया जाएगा। ये हमारे संविधान को नष्ट करने वाला है। संविधान में किसी भी प्रकार के धार्मिक भेदभाव का उल्लेख नहीं है। हमारी मांग है कि सीएए को सस्पेंड किया जाए और एनआरसी की प्रक्रिया पूरी तरह से बंद हो। जब तक ये मांग पूरी नहीं होती इसके खिलाफ लड़ते रहेंगे।